यदि आप भारत में रहते हैं और गाँव से जुड़े हुए हैं, तो ऐसा हो ही नहीं सकता है कि आपने कभी सत्यनारायण कथा न सुनी हो। ख़ासकर आपने अपने बचपन में अपने आस-पड़ोस में पंजीरी और पंचामृत लेने ज़रूर गए होंगे। हिंदू धर्म में माना जाता है कि सत्यनारायण कथा से जीवन के दुख-तकलीफ़ें दूर होती हैं। हिंदुओं के बीच ऐसी मान्यता है कि कलियुग में यह कथा आसानी से जीवन के दुखों से मुक्ति प्रदान करने वाली है।

इस कथा का वर्णन स्कंद पुराण में मिलता है, जहाँ नारद जी विष्णु जी से कलियुग में दुखों से मुक्ति का उपाय पूछते हैं। तब विष्णु जी नारद जी को बताते हैं कि सत्यनारायण कथा से मनुष्यों को अपने दुखों से मुक्ति और जीवन में शांति मिलेगी।

इस कथा में केले के पत्ते, फल, पंचामृत, पंजीरी आदि भगवान को समर्पित करते हैं और सत्यनारायण कथा का पाठ करते हैं। कथा का पाठ करने के बाद पंडित जी द्वारा हवन भी किया जाता है। हवन में हवन सामग्री — चावल, जौ, गुड़, घी, पंचमेवा, चंदन इत्यादि डालकर किया जाता है।

हवन करने के उपरांत आरती की जाती है और पंडित जी पुरुषों के दाएँ हाथ में और स्त्रियों के बाएँ हाथ में कलावा बाँधते हैं। इसके उपरांत सभी लोगों में प्रसाद का वितरण किया जाता है।

इस प्रकार से यह कथा संपन्न होती है। हिंदुओं में प्रायः यह कथा प्रति वर्ष घर में सुख-शांति के लिए की जाती है।